व्यक्ति भक्त या देश भक्त.................. क्या बनना चाहते है आप ?

देश के सामने कुछ ख़ास मुद्दे रखने ज़रूरी हैं। लोकतंत्र के चलते सभी राजनैतिक दल और राजनैतिक नेता एक दूसरे की कमियां गिनना नहीं छोड़ते। अंध भक्तों की भी कोई कमी नहीं है जो केवल चढ़ते सूरज को सलाम करते हैं और मौका परस्त लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो सत्ता पे काबिज़ पार्टी या लीडर का गुणगान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस सब के बावजूद ये कहना जरूरी है कि देश के प्रति आदर सत्कार अगर देश का नेता या देश का प्रशाशनिक चीफ दिखाए गा तो हम जैसे देश भक्त उस का पुरज़ोर अभिनंदन करें गे। मुझे नरेंदर मोदी में एक उम्मीद की किरन नज़र आती है। ये नेता बेदाग़ तो चाहे बहुत से  मापदंडों पे  (गुजरात दंगे) उतर सके लेकिन बेलाग तो अवशय है। एक ऐसा शक्स जिस का कोई निजी परिवार है कोई निजी एजेंडा। मोदी का ये बयान की " गंदगी करूँ गा करने दूँ गा", राजनैतिक हलकों में एक बहुत ही अहम ब्यान है। ये कोई गली मोहल्ले की साफ़ सफाई तक सीमित नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया एक अति महत्वपूर्ण व्यक्तव्य है जिस की गूँज अफसरशाही और राजनैतिक गलियारों को साफ़ करने की एक सिंह हुंकार है। हम सभी क्रन्तिकारी देशभग्त मोदी जी के इस व्यक्तव्य का स्वागत करते हैं और पुरज़ोर समर्थन भी। लेकिन ये भी साफ़ करना चाहतें हैं की हम मोदी भगत नहीं बल्कि भारत भगत हैं और मुझे ये विशवास है की नरेंद्र भाई मोदी भी इस भावना की इज़्ज़त करते हैं।

                                                        भारत वर्ष जैसे विशाल देश के करोड़ों नागरिकों की अगुवाई करना कोई रामलीला में राम या हनुमान का रोल निभाने जैसा नहीं है की जन्ता हर जुमले पे वाह वाही करे, तालियां बजाये। भारत का प्रधानमंत्री एक अत्यंत जिम्मेदारी का पद है। यहां गुणगान व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि कर्मो का ही हो गा। जब नरेंदर भाई ने ये पद संभाला तो सभी में बहुत सी उमीदें जगीं I देश के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री का पुरज़ोर स्वागत हम सभी का फ़र्ज़ होता है, स्वागत किया भी और जहाँ भी नरेंदर भाई देश के लिए कुछ भी अच्छा करें गे या सोचे गे हम उन का स्वागत और समर्थन करते रहें गे लेकिन हम उन्हें या किसी भी व्यक्ति विशेष को पूजनीय इत्यादि अलंकारों से सुशोभित करने वालों में भी नहीं है क्यों की पूजनीय केवल भारत माता है। पूजनीय इंसान नहीं बल्कि इंसानियत के वो सद्गुण हैं जो इंसान को बेहतर इंसान बनाते हैं। हम सोशल मीडिया पे हर अछि बुरी चीज़ पे नज़र रखते है और रखें गे भी I हम मुद्दों पर पैनी नज़र रखें गे और जहां जरूरत हो गी समाज और देश के सार्थक मूल्यों की रक्षा करें गे। यही हमारी देश सेवा हैI जरूरत महसूस हुई तो मुल्क के लिए जान दें गे और जान लें गे भी लेकिन अंध भक्ति हम जैसे सैनिकों से मीलों दूर है। नरेंदर भाई का अपने आप को देश का प्रधान सेवक कहना और ऐसा कर के हज़ारों नेताओं और लाखों सरकारी कार्यकर्ताओं को देश सेवा की ओर प्रेरित करना, उन का देश में स्वछता अभियान का आवाहन, बच्चियों के प्रति उन की संवेदना, गंगा सफाई अभियान, नेपाल भूटान दौरा, जापान दौरा, और अब एशियाई देशों का तथा आस्ट्रेलिए का दौरा सराहनीय है। लेकिन चीन के ज़ी जिनपिंग  का अभिनन्दन जो वक़्त से पहले और जरूरत से ज्यादा था जब की चीनी सैनिक चुमार सेक्टर में आज एक की सब से बड़ी घुसपैठ कर रहे थे,  और आज भी कर रहे हैं, जब की चीन भारतीय सीमा से सटी सीमा के समीप बने कैम्पों में पाकिस्तानी सैनकों को या ऐसा कहिये कि आतंकवादियों को भारत के खिलाफ प्रॉक्सी जंग लड़ने के लिए तैयार कर रहा है, इस के खिलाफ कोई पाएदार नीति न बना पाना, तथा उन का  भाजपा में दागीओं को रोक पाना निंदनीय है। या तो उन्हें यथार्थ से दूर रखा जा रहा है और या बाकि राजनेताओं की तरहं उन के भी खाने और दिखाने के दांत अलग हैं। ये चिंता के विषय हैं। मत भूलिए की गंगा की सफाई से भी ज्यादा जरूरीदेश में राजनीती के गंदे नाले की सफाई है बलात्कारी, खूनी, ज़मीनी घोटालों और नशा तस्करी से जुड़े लोगों की छंटनी अगर मोदी जैसा नेता भी  नहीं कर पाया तो जनता के पास सड़कों पर उतर कर  क्रांति की ध्वजा लहराने के इलावा और कोई चारा नहीं बचे गा। मोदी भगति , सोनिया भगति, केजरी भगति, ममता भगति ,जयललिता भगति , मायावती भगति या मुलायम भगति, ये सब तो राजनीती की बची हुई हडीयाँ चबाने वाले चाटुकार गीदड़ों का काम है। जिन्हों ने देशभक्ति के महागुरु भगत सिंह की भक्ति की हो वो इन सब वक़्त के खुदाओं की दिया बाती नहीं करते, केवल भारत माता के चरणों में अपना सीस नवाते हैं। मैं ये जानता हूँ की नरेंदर भाई जैसे नायक इस बात से भली भांति परिचित भी हैं और इस जज़्बे की तहे दिल से इज़्ज़त भी करते हैं।
                                                            …… कवि बलवंत गुरने

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