भगवान वगवान और टोना टोटका का सच्च🚩@✒GBG⚔

🚩यदी मैं कहूँ कि कोई भगवान वगवान नहीँ, तो शायद आप को बुरा लगे, लेकिन सच्च तो कहना ही हो गा🚩@✒GBG⚔

1.  मैं जानता हूँ की आप सभी, किसी न किसी देवी, देवता, भगवान, अल्लाह इत्यादि में विश्वास करते हैं, और यह भी कि आप ने अपने विश्वास को कभी तर्क की कसौटी पर परख कर नहीं देखा, बस अपने समाज की चलन्त प्रथाओं के चलते, जो आप ने देखा, उस  ही का देखा-देखि पालन करना शुरू कर दिया।  मेरा अनुरोध है की आज, थोड़ी देर के लिए ही सही , लेकिन इस विषय पर थोड़ा सोच कर देखा जाये। मेरे इस लेख का बैकग्राउंड यह है की मेरे एक मित्र के सगे भाई ने ज़मीन जयदाद के मामले में अपने हीे भाई से बड़ी धोखाधड़ी करने का क्रम चला रखा है। पूछ ताछ से पता चला की उस ने आजकल कुछ तांत्रिकों को पैसे दिए हैं की वह ऐसा प्रयोग करें की भाई चुप रहे, जब की छोटा भाई केवल इस लिए चुप है कि परिवार हास्य का पात्र न बने।

2.   ज़रा सोचिये,  हम विज्ञान के युग में  रहते हैं, और एक नहीं, हजारों ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं, जो विज्ञानं की देन हैं, लेकिन हम हैं की विज्ञान का शुकिया कभी नहीं करते। इस युग में भी लोग जादू टोना टोटका का सहारा ले रहे हैं। अँधा और मूर्ख मानव, लालसाओं और लालच की पूर्ती हेतु, अन-देखे भगवान को तो करोड़ों रुपये और यहां तक की पशु और नर-बली तक चढ़ा रहा है, लेकिन उस में विज्ञानं या न्याय के लिये  सच्ची श्रद्धा नदारद ही है। दूसरा हंसी की बात यह है की खुद,  कई वैज्ञानिक, बड़े चिकित्सिक और इंजीनियर इत्यादि मन्दिरों मस्जिदों गुरुद्वारों में, यहां तक की तथा-कथित तांत्रिकों के पास कीड़ों की तरहं रेंगते फ़िरते हैं, और अपनी विद्या, और स्किल्ल्ज़ इत्यादि को देवकृपा ही बतलाते हैं। They think of putting up such behaviour  as being humble.

3.   कभी खुद से पूछिये तो सही, की आग, कागज, पहिया, नवीन खेती की विधियां, बड़ी बड़ी इमारते, डैम इत्यादि बनाने की विधियां और टेक्नोलॉजी,  स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, पानी के विशाल जहाज, हवाई जहाज, कंप्यूटर, मोबाइल्स, विभिन्न प्रकार के वाहन, घरेलू सुख चैन का सामान, जैसे फ्रिज, टीवी, इत्यादि, संचार के साधन, चिठ्ठी से ले कर सोशल मीडिया तक, यह सब आप को किस ने दिया, आप के आग या नाग देवता ने, आप के भगवान ने,  या  फिर  विज्ञानीक इन्सान ने ❓

4.    विज्ञान के इलावा, इन्सानी समाज, धर्म, मंदिर मस्जिद, और यहां तक की भगवान, रब्ब,  अल्लाह इत्यादि भी, सब के सब इन्सान के दिमाग का ही खेल है। इंसान ने ही अपनी जरूरत के मुताबिक मन्दिर मस्जिद बनाये, और उन में भाँति भांति के आकार वाले देवी देवता,  या कोई काल्पनिक निरंकार भगवान अथवा अल्लाह बनाये,  लेकिन यह सब जानने के बाद भी मूर्ख भगवान में और बाकी बेवकूफियों में अंध विशवास रखते हैं, और यहां तक की किसी अदृश्य भगवान की ख़ातिर पशुबलि, या नरबली तक भी दे देते हैं। जानते हैं क्यों, निहित स्वार्थ और अज्ञान के चलते, अपनी अनगिनत ख्वाहिशों की पूर्ती के लिये। 

5.  यह भी विचारणीय है की मनुष्य के ईलावा दुनिया के एक भी प्राणी द्वारा भगवान को माने जाने का कोई प्रमाण नहीं मिलता,  और न ही कोई कुत्ता, बिल्ला, तोता या कोई और जानवर एक दूसरे के ख़िलाफ़ टूना-टोटका करते हैं, जब की मूर्ख मानव ने सांपो, चूहों, शेरों, हाथी इत्यादि में भी भगवान स्थापित किया है, और निम्बू को स्कंजवी बनाने की सामग्री से बेहतर उसे अपने दरवाज़े पे लटकाना समझा है।   हर गांव, नगर, शहर का अलग देवता है।  जाहिर है, जैसी जिस की कल्पना रही हो गी, उस ने  वैसा ही देवी देवता, भगवान इत्यादि बनाया हो गा।

6.   जिस दिन मंदिरों,मसजिदों,गिरजाघरों और बाकी धर्मस्थलों इत्यादि में और इन मानव निर्मित तथाकथित भगवानों के आगे चढ़ावा चढ़ना बंद हो जाएगा, उस ही दिन पुजारी अपने अपने भगवान, सब ढब ढकोसला है कह कर,  बाहिर फेंक दें गे और कोई दूसरा धंधा शुरू कर देंगे।

7.   मित्रो याद रखिये की जैसे इन्सान ने अपनी सुविधा हेतु विज्ञानं का प्रयोग किया, वैसे ही अपने दिमाग के पागलपन की शांती, अपनी अनभिज्ञ भावनाओं की तृप्ति, अपने भय और अनिश्चिताओं से मुक्ति पाने हेतु इन्सान ने,  अपनी अपनी मर्जी का भगवान भी घड़ लिया।

8.   यानी भगवान  इन्सान की ही एक ऐसी प्राचीन कृति  है,  अब जिसे इन्सान,  अपने होने का मूल कारण समझ बैठा है, और यह सब सिर्फ इस लिए की उस की, 'खुद के होने की वजह की तलाश' अभी बाकी है, हालांकि यह तलाश बेमानी है। 

9.   इन्सान की अपनी अनबूझ पहेलियों के उत्तर, भगवान में, टोनों टोटकों में ढूँढने की क़वायद एक बेवकूफ़ी है, क्यों की इन्सान को मानसिक अमन चैन,  इन सब  से नहीं मिलता।  वह कौन है, कहाँ से आया है इत्यादि जान लेने में इन्सान की शान्ति की चाबी नहीं है,  बल्कि इन्सान के सुख चैन की कुंजी 'सहजता में'  या 'केवल होने मात्र' में है'। 

10.   तू  कहाँ से आया है, कहाँ जाये गा, यह सब जान के क्या करे गा भाई। तू है, बस इतना ही काफ़ी है, इस लिए आनंदमयी हो जा। तेरा 'होना ही' 'सेलिब्रेटेबल है, इवेंटफ़ुल है। ज्यादा अपनी (Papa orange november, golf, india)  मत घिसा। तेरे टोन टामण, तेरे देवी देवता, तेरे भूत प्रेत,  और तेरा भगवान, सब तेरे मूरख मन का खेल हैं।  तेरे धर्म वर्म भी, जैसे ही,  जीवनजांच का माध्यम न रह कर, केवल कर्मकाण्ड, पूजा प्रसाद, धूफ जोत, रुमाल दोशाला, स्वर्ग नर्क इत्यादी  लेने देने, या पाने खोने के माध्यम बनते हैं, वैसे ही वह भी तेरी मूर्खता की निशानी बन जाते हैं।

11.   Enjoy your life.  Simply your being here and now is enough. Nothing else needs being known about this or any other word for being happy. Yes, dont steel, dont hoard, dont kill out of fear or out of greed, Live and Let Live.Thats it.
🚩🔑तत्त सत्त श्री अकाल🔑🚩
🔱✒गुरु बलवन्त गुरुने⚔🔱

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