⛩ धर्म का बांस और उस पे चढ़ते उतरते बन्दर🐒 🚩© @ ✒GBG⚔

⛩ धर्म का बांस और उस पे चढ़ते उतरते बन्दर🐒
 🚩तत्तसत्तज्ञान उसे मिले, जो करे चिंतन ध्यान🚩©✒GBG⚔

1.  नास्तिक होना कोई बुरी बात नहीं, न ही आस्तिक होना कोई अचीवमेंट है। यह दोनों दशाएं हैं, कंडीशनिंग है, सोच के सत्तर और स्टेट ऑफ़ माइन्ड की । नास्तिक शब्द को बेवजह एक नेगेटिव कोनोटेशन दे दी गयी है। इस शब्द को जान बूझ कर बदनाम किया गया है। इस शातिर चाल के चलते, एक आस्तिक आदमी को, नास्तिक को गलत कह कर, खुद के ठीक होने का मिथ्याभास होता है। पुरोहित वर्ग  का इस से फायदा होता है, क्यों की उन की भेड़ें बिना विचार चिंतन के उन के पीछे चलती रहती हैं।

2. भारत में दर्शन की 6 आस्तिक और 4 नास्तिक धाराएं हैं ,और सभी के काफ़ी अनुयायी हैं। वैसे नास्तिक लोग ईश्वरवादियों और वेद प्रेमियों से ज्यादा अनुशाषित और बेहतर आचरण वाले पाये गए हैं।  जयदा तर अस्तिकि तो यह भी नहीं जानते की वह किस रस्ते पर चल रहे हैं, यानि छट दर्शन में से किस दर्शन को चुना है उन्हों ने, बस चले जा रहे हैं एक के पीछे एक, भेड़ो की तरहं।

3.  चलिये एक ही बार समझ लें, जीवन में शांति और कॉन्टेन्टमेंट तो अवश्य  डिज़ाईरबल हैं, लेकिन ईश्वर तत्व, मोक्ष, स्वर्ग नर्क इत्यादि, या फिर हर समय एक ही श्ब्द या कुछ शब्दों के आयोजन को तोते की तरहं रटते रहना, यानि कुछ सिमरण, जपने इत्यादि की क्रिया, भजन कीर्तन, बाजे गाजे, गाना बजाना, सभी कुछ, केवल मूर्खों के बिज़ी रखने के खिलौने हैं, मन बहलाने के लॉलीपॉप, मात्र मुंह का स्वाद बदलने की गोलिया।  यह सब चिरकाल की शान्ति नहीं दे सकते।

4.  समझदार आदमी की जरूरत केवल ध्यान और धारणा है। प्राणयाम,और आसन सेहत के लिए हैं।  प्रत्याहार जीवन को कचरा रहित करने के लिए है। यानि साफ़ है कि कहीं भी किसी 4 भुजाओं वाली देवी या किसी श्मशानवासी बाबा की कोई भी आवश्यकता नहीं।

5.   किसी गुरु की आवश्यकता अवश्य है, पथ प्रदर्शन के लिये, या कोई भी क्रिया सीखने के लिए,  लेकिन यदि कोई कहे की अब मेरा गुरु भगवान हो गया है, अब तुम उस की तस्वीर तक नहीं बना सकते, तो समझ लो अब वह भी त्याज्य है।

6.  तो याद रहे की समझदार आदमी की जरूरत केवल ध्यान और धारणा है। प्राणयाम, आसन, व्ययाम, कोई खेल, जैसे तैराकी, गोल्फ, फुटबॉल, और अच्छा भोजन सेहत के लिए हैं।  संगीत और नृत्य ,  वह कोई भजन हो या वेस्टर्न कंट्री म्यूज़िक, मन को प्रफुलित करने के लिए है,  और प्रत्याहार जीवन को कचरा रहित करने के लिएहै।

7.  यानी कहीं भी, किसी भी ईश्वर विश्वर की भजन, कीर्तन, जप द्वारा चमचगिरी या मूर्तियों और ग्रन्थो को पैसे या प्रशाद के चढ़ावे की रिश्वत देने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह मुर्ख पंथी है, अन्यथा कुछ भी नहीं।

8.  लेकिन यह  बात व्ही समझे गा जो चिंतनशील हो,  खोजी हो, और कुछ जानने की अभिलाषा रखता हो। बाकी लोग अपने अपने खिलौने में रचे हैं, उन्हें रचे रहने दो।

9.   ज्यादातर लोग साधू के बन्दर के से हैं, गाड़ दिया धर्म का बम्बू, अब उतरते रहो और चढ़ते रहो।  इस काम पे न लगाये गए, तो कोई और खुराफात करें गे, दंगे करें गे।  तो जपते रहो नाम, रखते रहो व्रत रोज़े, करते रहो  तीरथ और हज, बनाते रहो त्यौहार, निकालते रहो जलूस, नगरकीर्तन और झांकियां, करते रहो मन्दिरो गुरुद्वारों की परिक्रमा, यानि चढ़ते उतरते रहो धर्म के बांस पर।

10.  या तो ईश्वर है, और अगर है तो सर्वव्यापी है, मुझ में है, तुझ में हैं, सब मे है। तो फिर जब वो है तो उसे ढूंडना कैसा और क्यों। यदि  वो पर्दे में है, तो रहने दो पर्दे में, screw हिम, क्यों उसे ढूँढने में बेवजह खज्जल खुवार हो रहे हो।  कोई कसरत करो, पोन्टिंग करो, फूल लगाओ, गीत ही गाओ। जो है उसे क्यों ढूढ़ना, जैसे कोई सठियाया प्रोफेसर अपने सर पे ऐनक टिका कर भूल जाये, और लगे अपने ही सर पे टिकी ऐनक को सारे घर में ढूँढने।

 11.  और अगर ईश्वर है ही नहीं, तो और भी बेहतर।   तो कम से कम सिद्ध हुआ की इन्सान को अपनी धरती की सम्भाल ख़ुद रखनी हो गी। कूड़ा कर्कट न फैलाओ, धार्मिक नफ़रत न फैलाओ, पेड़ लगाओ, प्यार बढ़ाओ, पानी को बचाओ और साफ़ रखो। नेक बन्दे बनो, और जब तक जीवन है, उसे जियो, उपरांत मर जाओ, बिना किसी पछतावे के, और बिना किसी उम्मीद के।।।

12.    It is as simple as that. But if you are in the business of religion, and gaining politically and economically from it, please continue to do so, I dont want to interfere in your business.

13.  But if you are just a monkey, going up and down the bamboo of religion, just because your elders did so, or that's what you have been doing ever since your childhood, in that case, stop being a monkey immediately.
⛩तत्त सत्त श्री अकाल🚩
@ ✒ Guru Balwant Gurunay⚔
🚩गुरु  बलवन्त गुरुने 🚩

No comments:

Post a Comment