साहिब का न्यू इंडिया का वादा भी कहीं कोई जुमला ही तो नही ? ✒ Guru Balwant Gurunay ⚔

साहिब का न्यू इंडिया का वादा, हक़ीक़त कैसे बन सकता है, और बस एक जुमला ही बन कर कैसे रह सकता है ? ✒ Guru Balwant Gurunay ⚔

© मोदी साहिब बात तो कर रहे हैं व्यवस्था परिवर्तन की, लेकिन उन्हें यह आज देश को क्लियर करना हो गा की वह 'New India' के नारे का प्रयोग कैसे 'न्यू इंडिया' के लिए कर रहे हैं। मात्र सेक्युलर शब्द को संविधान से हटा देना, काफी नहीं हो गा, यह केवल एक नौटंकी ही साबित हो गी।

यदी मोदी साहिब व्यवस्था बदलाव सच्च में करना चाहते हैं, तो वो आज भी कर सकते हैं। उन्हें कोई नहीं रोक सकता।

भाजपा के पास लोकसभा में अद्वित्य पूर्णबहुमत है। भारत के 29 राज्यों में से 19 पे भाजपा का साशन है। 14 में शुद्ध भाजपा सरकारें हैं और भाजपा के ही मुख्य मंत्री हैं, और 5 राज्यों मेँ NDA के मुख्य मंत्री हैं। 

 2018, में मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटका, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्तान में चुनाव सम्भावित हैं।  आने वाले राज्यों के चुनाव, में भी यदी मोदी मैजिक वैसे ही चला जैसे गुजरात और हिमाचल में, यानी जो झोली में है, उसे भी न खोया और काफ़ी कुछ नया भी पा लिया, तो भाजपा साशित राज्यों की संख्या 22 तक जा सकती है, ऐसी एक बड़ी सम्भावना है। त्रिपुरा में एक अत्यंत ईमानदार मुख्य मंत्री के चलते, भाजपा के जीतने की सम्भावना कम ही है।

हाँ, राज्य सभा पे भी अब तो साहिब का पूरा कण्ट्रोल होने जा रहा है, और राष्ट्रपति महोदय जी तो साहिब के हुक्म से बाहर नहीँ जा सकते।

ऐसे में 2022 का इंतज़ार क्यों ?

मोदी जी अगर जातिवाद और भृष्टाचार मुक्त भारत बनाना चाहते हैं तो 2022 का इंतज़ार क्यों ?

मोदी यदी राष्ट्रपति प्रणाली और फ़ेडरल इण्डिया बनाना चाहते हैं, वह तो भी आज सम्भव है। कल किस ने देखी है साहिब। कल का या 2022 का इंतज़ार क्यों। लोहा गर्म है, आज ही भारत की जंग लगी तलवार को नए सिरे से ढाल डालो, वरना कहीं ऐसा न हो की 'मेरा सुंदर सपना टूट गया' ही गाते रह जाओ।

आम लोगों को उन की जमापूंजी को लॉक करने की बाते कह के, या फिर नोटों के रंग बदल के, न तो जातिवाद, और न भ्र्ष्टाचार, और न ही धर्मान्धता की राजनीती खत्म हो गी। हाँ यदि खत्म हो गी तो केवल आम-जन की अर्थ व्यवस्था, जो की शर्तिया आत्मघाती सिद्ध हो गी।

इस लिए मोदी जी को अब 2022 का जुमला छोड़ कर असली काम पे लग जाना चाहिए। 2019 से पहले ही व्यवस्था परिवर्तन के लिए कुछ सार्थक किया तो सही हो गा, आप भारत के इतिहास में एक युग पुरुष के रूप में जाने जाएँ गे, वरना यह न्यू इंडिया भी, बस एक जुमला ही बन कर रह जाये गा।

'काल करे जो आज कर, आज करे सो अब', के असूल पे चलते हुए जातिवाद और धर्म की अन्धी राजनीती को सम्पूर्ण विराम, यदी साहिब ने दे दिया, तो 2022 तक भी जाएं गे, वरना 2019 तक क्या हो गा, कहना मुश्किल है।

मेरा तो देश के नेता से यही कहना है की न्यू इंडिया का जुमला छोड़ो और सतही स्तर पे बदलाव लाओ साहिब। अभी नहीं तो कभी नहीं।

 आम लोगों को जितनी राहत हो सके, देना शुरू कर दो। वरना जीत के जश्न में, अद्वित्य होने का मत्तीभृम, आप ही को नहीँ, इंदिरा जी को भी हुआ था।  जीते हुए योद्धा के समारोह में कुछ ईमानदार वफादार समर्थकों के, और कुछ मौका परस्तों के  जश्न को, जन्ता की वोट और समर्थन कहना, गलत ही साबित  हुआ है, और आगे भी हो गा। और वैसे भी जन्ता का क्या, कभी भी हंगामाखेज़ समर्थक से विरोधी भी बन सकती है।

मेरा दृढ़ विश्वास है की राष्ट्रपति प्रणाली और फ़ेडरल स्टेट बनाने के लिए, जो साहिब खुद कई बार दोहरा चुके हैं, उपयुक्त  समय आ गया है। इस तरहं लोकतन्त्र भी बचा रहे गा, व्यवस्था परिवर्तन भी हो जाये गा, और फिर विकास का होना भी निश्चित ही हो गा।

यदी आप ऐसा करते हैं, तो 2019 के चुनाव में अमरीकन विधि की तरहं, आप और आप के प्रतिद्वन्धी मैदान में उतरें, ओपन मीडिया डिबेट करें और अपनी सोच और नितियों के बल पे देश के नायक बन कर उभरें।

उस के उपरांत भृष्ट मिनिस्टरों और MP, MLAs का बोझ देश के सर से उतार कर, सिर्फ काबलियत की बेस पे, क़ाबिल और टेलेंटेड लोगों की अपनी टीम बनाएं। तभी असली विकास सम्भव है।

वरना साहिब जीत तो दर्ज करें गे, लेकिन जीत की मलाई बड़े घरानों या भृष्ट नेताओं के जमावड़े तक ही सिमित रह जाये गी।

लोगों को अब नयी बोतल में पुरानी शराब न दे कर, इस शराब को यदि शुद्ध गंगाजल स्वरूपी नीतियों से भरा जाये, तो भारतवर्ष धन्यवादी रहे गा। वरना वादों का ठर्रा तो देश पीता ही आ रहा है, थोड़ा और पी ले गा।

🚩वन्दे मातरम🚩
🚩तत्त सत्त श्री अकाल🚩
✒ गुरु बलवन्त गुरुने ⚔

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