1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की कश्मीर पॉलिसी सच मुच लाजवाब है। आइए बहुत ही संक्षिप्त में इसे समझने की कोशिश करें।
2. इसे किसी भी और नाम से बखान करो, लेकिन मुद्दा तो इतना ही है कि कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान ने उसे आज़ाद कश्मीर कह के कब्ज़ा किया हुआ है, तो भारत ने उस के एक हिस्से को, नेचुरल पॉलिटिकल और सोशल जस्टिस के तहत, भारत के अभिन्न अंग की तरह स्वीकृत किया है।
3. पाकिस्तान POK को आज़ाद कश्मीर कहने का नाटक कर के भारतीय कश्मीर में युवाओं को लंबे अरसे से बहकाता चला अा रहा है।
4. यह सब इस लिए भी संभव हुआ, कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला की कुछ राजनीतिक गलतियों के चलते कश्मीर में धारा 370 और 35A लागू कर दी गई थी, जिस के अनेकों दुष्परिणाम निकले।
5. इन धाराओं के चलते, ना सिर्फ यहां भारतीय कानून लागू नहीं किए जा सकते थे, बल्कि दलितों और महिलाओं के शोषण का कुचक्र रोकना भी असंभव था, क्यों की 370 के चलते कोई भी भारतीय कानूनी संशोधन भारत के ही इस प्रांत में बेमानी था।
6. लोकल राजनेताओं को, धारा 370 में, दिल्ली से आंख मिचौली खेलने का, और इस्लामाबाद से फ्लर्ट करने का औजार नज़र आया। इस अनियंत्रित स्थिति का प्रयोग सत्ता सुख भोगने के औजार के रूप में प्रयोग करने का मौका भी उन्हे नज़र आया, सो उन्होंने इसे खूब भुनाया भी।
7. उधर चरमपंथियों को कश्मीर में आतंकवाद फैलाने का मौका मिला, और यदा कदा, अनेकों सथानों से धन बटोरने का मौका भी मिल गया। इस धन का प्रयोग अपनी एशो इशरत के लिए, और पत्थरबाजों को दिहाड़ी देने के काम में लाया गया।
8. इस के इलावा लदाख जो प्रांत का 64 % ज़मीनी हिस्सा था, के लोग और जम्मू के लोग भी देश की मुख्य धारा से अलग थलग पड़े हुए थे, और बेवजह हालात की चक्की में पिस रहे थे। यानी कुल मिला कर कश्मीर की समस्या का कोई भी हल संभव नहीं था, क्यों की हल कोई करना ही नहीं चाहता था। इस समस्या के लटकने में ही राजनीतिक लोगों को फायदा नज़र आता था।
9. लेकिन फ़िर मोदी का दौर आया, 70 साल से चल रही समस्या को जिस समझदारी और चतुराई से हल किया गया है, वह सराहनीय है, और मेरा विश्वास कीजिए, आने वाले समय में यह दौर राजनीति शास्त्र के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में पढा पढ़ाया जाए गा।
10. जिस सतर्कता से कश्मीर को भारत से तन्हा करने वाले आर्टिकल 370 का स्मूल नाश कर, लादाख और जम्मू कश्मीर को विभाजित किया गया, और इस के लिए दोनों ही हाउसिज़ द्वारा बिल पास करवाया गया, वह मौजूदा सरकार और नेतृत्व की स्पष्ट सोच, और मुद्दे पे एकाग्रता का सूचक है, और एक नया मानक भी है।
11. याद दिलाता चलूं की कुछ लोग जो कश्मीर में जनतंत्र के समाप्त होने की दुहाई दे रहे हैं, वह बस इतना अवश्य जानं लें, कि असली ग्रास रूट लोकतंत्र की तो शुरुआत ही अब होने जा रही है।
12. केंद्रीय सरकार, जो अब नवगठित यूनियन टेरिटरी ऑफ जम्मू एंड कश्मीर के संचालन में पूरी तरह से सक्षम है, 3000 करोड़ रुपए की रकम, सीधे 40,000 सरपंचों व पंचों को निर्वाचन उपरान्त दे गी , तांकी वह अपने अपने इलाके में विकास कार्य को, BDOs और DDOs की देखरेख में सक्षम रूप से परीपूर्ण कर सकें।
13. भारतीय खेल विभाग भी पूरे ज़ोर शोर से, युवाओं को खेल जगत में एक्टिव करने के लिए प्रयत्न शील है।
14. हालां की चरमपंथी सेब के बागवानों की फसल ना बिकने देने पर आमादा हैं, लेकिन सरकार ने खुद फसल खरीदने का बंदोबस्त किया है, और सरकार सीधे बागानों से 50 रुपए किलो के हिसाब से फसल लेगी।
15. भारतीय सेना, और अन्य सैन्य दल, न सिर्फ शांति बनाए रखने के लिए चरमपंथियों को दबाने में व्यस्थ है, बल्कि वह युवकों को पुनः शिक्षा की ओर प्रेरित करने में भी संलग्न है।
16. और सब से महत्वपूर्ण है, कि जहां पाकिस्तानी नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय स्टेजों पे अब कश्मीर पे बेतुकी बयान बाज़ी के इलावा, कुछ करता नजर नहीं आ रहा, वहीं भारतीय नेतृत्व सक्षम रूप से अपनी नीति को अंतरराष्ट्रिय जगत में सार्थक सिद्ध करने में सफल रहा है।
✒गुरु बलवंत गुरुने⚔
No comments:
Post a Comment