कम से कम गुंडागर्दी से तो काम बनने वाला है नहीं।





नरेंद्र भाई मोदी ने इस डूबती कश्ती को पार लगाया है किन्तु जिला स्तर पर नेताओं की छंटनी अगर न की गयी तो निश्चित ही ये कश्ती मोदी जी को भी ले डूबे गई। कम से कम गुंडागर्दी से तो काम बनने वाला है नहीं। निचले स्तर पे बाहुबली बनने के शौकीनों के इलावा कुछ नज़र नहीं आ रहा। ये छुटकल गुंडे हम जैसे भूत पूर्वक सैनिकों को ललकार रहे है न जानते हुए की अगर फौजी अपनी आई पे आ गए तो कब इन की क्या दुर्दशा कर दें गे ये जान भी न पाएं गे। उदहारण स्वरुप मोदी जी तो स्वछता का अभियान देश में चला रहे हैं लेकि बीजेपी के छोटे मोटे गुंडे पड़ोसियों के घर के सामने अपना कूड़ा फेंक कर अपना रॉब जमा रहे हैं। ये मोहाली में मेरे पड़ोस की ही बात है। ऐसे लोगों का कौन भला आदमी साथ दे गा। इक साहिब के घर से ५ करोड़ की हैरोइन ड्रग पकड़ी गयी तो दूसरे कुछ दिन पहले ज़मीं जायदाद के मामले में पुलिस से भागे फिर रहे थे। मोदी जी के प्रति जो श्रद्धा लोगों के मन में है ये लोग उस का भी मलिया मेट कर दें गे। मोदी जी को चाहिए की पार्टी और देश के भले के लिए निचली सतह पे शरीफ लोगों को आगे करें। देश में रिटायर्ड अध्यापकों की, भूत पूर्व सैनिकों की और बहुत से ऐसे लोगों की, कोई कमी नहीं है जो देश सेवा की भावना से ओतप्रोत भी हैं और मोदी जी के प्रति श्रद्धा भी रखते हैं लेकिन ये ड्रग तस्करों और लैंड माफिया से जुड़े हुए लोग उन को हतोस्ताहित कर के आगे आने का मौका ही नहीं देना चाहते। ये बात पी एम साहिब तक पहुंचनी चाहिए। ...... सादर कवि बलवंत गुरने।

 ਅੱਜ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਦਾ ਸਚ ਇਹ ਹੈ ਕੀ ਹਰ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪਾਰਟੀ ਓਹੋ ਹੀ ਪੁਰਾਣੀ ਸ਼ਰਾਬ ਨਵੀਂ ਬੋਤਲਾਂ ਵਿਚ ਪਾ ਪਾ ਕੇ ਜੰਤਾ ਨੂ ਵੇਚ ਰਹੀ ਹੈ। ਜੰਤਾ ਇਹ ਘਟਿਯਾ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ ਪੀ ਕੇ ਥਕ ਚੁਕੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰਾ ਖੇਡ ਵੀ ਸਮਝ ਚੁਕੀ ਹੈ। ਹੁਣ ਜੇਹੜੀ ਪਾਰਟੀ ਸ਼ਰਾਬ ਦੀ ਕਵਾਲਿਟੀ ਇਮਪਰੂਵ ਕਰੁ ਓਹੋ ਹੀ ਅਗੇ ਵਧੂ ਗੀ। ਯਾਨੀ ਨਿਚਲੇ ਲੇਵੇਲ ਤੇ ਚੰਗੇ ਅਤੇ ਸਾਫ਼ ਛਵੀ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਸਾਫ਼ ਕਾਰੋਬਾਰ ਵਾਲੇ ਲੋਗ ਹੀ ਅਗੇ ਲਿਯਾਨੇ ਪੈਣੇ ਨੇ। ਜਨਤਾ ਨੇ ਸਿਰਫ ਪੋਸਟਰ ਦੇਖ ਕੇ ਵੋਟ ਦੇਣ ਦੀ ਗਲਤੀ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਕਈ ਵਾਰੀ ਭੁਗਤ ਲਏ ਨੇ। ਗਰੀਬੀ ਹਟਾਓ ਵਰਗੇ ਨਾਰਿਆਂ ਦੇ ਦਿਨ ਲੱਦ ਚੁੱਕੇ ਨੇ। ਜੰਤਾ ਕਰਪਸ਼ਨ ਅਤੇ ਕਰ੍ਪੱਟ ਲੋਕਾਂ ਨੂ ਹਟਾਨ ਵਿਚ ਜਿਆਦਾ ਦਿਲਚਸਪੀ ਰਖਦੀ ਹੈ। 

आज हिंदुस्तान का सच ये है की सभी राजनीतिक दल वही पुरानी शराब नयी बोतलों में डाल कर जन्ता के सामने पेश कर रहे हैं, लेकिन जन्ता ये ज़हरीली शराब पी पी कर थक चुकी है और इस खेल को अच्छी तरहं से समझ भी चुकी है। अब तो वो ही पार्टी आगे निकले गी जो शराब की क्वालिटी ठीक कर सके यानी के जिला और तहसील लेवल पर साफ़ छवि और साफ़ कारोबार वालों को आगे लाये। जन्ता ने सिर्फ पोस्टर देख कर वोट देने की गलती का अंजाम कई बार देख लिया है अब वो ऐसी गलती नहीं करने वाले। गरीबी हटाओ जैसे नारों के दिन भी अब लद चुके है , आज लोग भ्र्ष्टाचार तथा भृष्ट लोगों को हटाने में जायद रूचि रखते है। 


Truth of India's politics today is that every party is serving the same old wine in new bottles but the people are fed up of this low quality moonshine. You can't sell moonshine in bottles of scotch to Indian public any more Today the need of the hour is to improve the quality of leadership at tehsil and district level. A voter wants to see people with a clean image and clean profession as their leaders. They are no more impressed with swanky cars or empty slogans. The era of "Garibi Hatao" is over and the janta is more interested in 'Corruption hatao and corrupt Bhagao'.


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