स्कैम ही स्कैम


आज कल कोल् गेट स्कैम के बहुत चर्चे हैं।   आप को ये जान कर हैरानी हो गी कि ये कोई आज कल की  बात नहीं है बल्कि  पिछले ढाई दशकों से, यानि तक़रीबन 25  साल से ये काला बाज़ारी चल रही थी। इस  दौरान दिली की गद्दी पे कांग्रेस गठनन्धन तथा भाजपा गठबंधन दोनों ही ने  राज़ किया लेकिन दोनों ही ने न्यायपालिका के बार बार चेताये जाने के बावजूद भी देश के इतने बड़े प्राकृतिक संसाधन के आवंटन के वास्ते कोई पायदार कानून या प्रोसीजर नहीं बनाये।  क्यों ? तांकि क्रोनी केपीटलिस्म के तौर तरीकों द्वारा खास लोगों को फायदा पहुँचाया जा सके।  निचले राजनैतिक गलियारों के कुछ नौसिखिये भाजपा नेता इस स्कैम पे हुए एक्शन का श्रेय अपनी सरकार को देने की कोशिश  करते देखे गए।  जब की इस कोयले की काला  बाज़ारी  को बंद करने का सारा श्रेय देश की शीर्ष न्यायपालिका को जाता है।   दरअसल जब भी कोई राजनेता या राजनैतिक दल सत्ता में आता है तो वो दूसरों की गंदगी साफ़ करने की बात तो करता है लेकिन अपने घर की और देखना भूल  जाता हैं,  हाँ  वो एक गैर ज़िम्मेदाराना सेल्फ पब्लिसिटी के काम में जरूर जुट जाता  हैं। हर अच्छे काम का श्रेय ये लोग लेना चाहते हैं खुद चाहे  वो गुंडागर्दी, नशा तस्करी,  भूमाफिआ इत्यादि से शरे आम जुड़े रहे हों  या जुड़े हुए हों । नाजायज़ धन्दों में लिप्त ज्यादा से जयादा ऐसे लोगों का  सिर्फ अपने पापों पे पर्दा डालने के लिए और राजनैतिक संरक्षण पाने के लिए राजनीती में उतरना एक ऐसा स्कैम  है जो भारत की आज़ादी के बाद से आज तक दशक दर दशक, पार्टी दर पार्टी इस देश में चला आ रहा है।  इस स्कैम  के बारे भी न्याय पालिका सभी सरकारों को कई बार चैता चुकी है लेकिन चिकने घड़ों पे पानी का क्या असर....  and as a result the criminalisation of politics is an ever growing phenomena.  नरेंदर भाई मोदी  जैसे कर्मठ और  तीक्ष्ण   बुधि  नेता  से देशवासिओं को गंगा की सफाई के साथ साथ  राजनीती के गंदे नाले की सफाई की उम्मीद कहीं ज्यादा है। बलात्कारी, खूनी, ज़मीनी घोटालों और नशा तस्करी से जुड़े लोगों की छंटनी अगर मोदी जैसे कर्मठ और तीक्ष्ण बुधि नेता के होते भी न हो सकी तो शायद 2024 तो क्या  2009 तक भी  जन्ता उन के  साथ न चल पाए। ऊपर के गलियारों की  राजनीतिक मजबूरीआं हम  समझते हैं लेकिन  ग्रास रुट लेवल पे तो साफ़ सफाई का ख्याल रखना ही पड़े गा क्यों की जन्ता में पार्टी की छवि तो इन्ही लोगों से बनती है।  युवा भारत एक जागृत भारत है।  आज 65 % युवाओं के तेज़ में नहाता हुआ  200  करोड़ की आबादी वाला  भारत  जरूरी कानूनी सशोंधन, विकास के साथ पर्यवरण की रक्षा, महंगाई पे पैनी नज़र, भ्र्ष्टाचार से मुक्ति, नारी सन्मान, गहन कूटनीति के साथ साथ  सीमा पे तिरंगे की आन बान जैसे मुद्दों पे देश की शीर्ष लीडरशिप  से बहुत सी उमीदें लगाये हुए है। बहार के चोरों को तो हम फौजी संभाल  रहे हैं  लेकिन घर के चोरों से आम आदमी की रक्षा तभी हो पाये गई जब  राजनीती से दागियों और बहुबलिओं की छंटनी   जैसे मुद्दे  पे देश के नेताओं का खास ध्यान जाये गा।  क्यों की ये लोग थोड़ी सी राजनीतिक ताक़त पा  कर अपने आप  को गली मोहले के बदमाश समझने लगते हैं और इन की गिरी हुई हरकतों से पूरी भाजपा और मोदी जैसे शीर्ष नेतृत्व  की साख गिरती है। नरेंदर भाई की जिस इमेज को बनाने में इतनी मेहनत और समय लगा  है अगर इन बदमाशों की वजह से वो धूमिल होने से न रोकी जा सकी  तो पार्टी को हर मोड़ पे नुकसान ही झेलना पड़े गा।    मैं इन छोटे और आम से दिखने वाले लेकिन विस्फोटक मुद्दों की और  देश के चीफ एक्सेक्टिव श्री नरेन्द्र भाई मोदी का ध्यान खींचना चाहूँ गा और उम्मीद रखता हूँ की वो अपने रीजनल और प्रादेशिक कप्तानों को इस सन्दर्भ में कोई सार्थक निर्देश जरूर दें गे वरना ये जग जाहिर है की काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। अगर हर छोटा बड़ा स्कैमस्टर अब भाजपा का नेता बन के उभरने लगा तो जल्दी ही हर तरफ स्कैम  ही स्कैम नज़र आएं गे।  भाजपा को अपनी छवि साफ़ बनाने के लिए साफ़ छवि वाले  कार्यकर्ताओं को ही आगे बढ़ाना चाहिऐ।       ………………सादर - कवि बलवंत गुरने। 

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