1000 गले सड़े कानून कचरे की टोकरी में ..............balwant gurunay


आने वाले विंटर पार्लियामेंट सेशन में सरकार तकरीबन 1000 गले सड़े कानूनों को कचरे  की टोकरी का मुंह दिखाने वाली है।  इस की जितनी  भी प्रशंसा की जाये कम है।   आज़ादी के बाद बहुत से गले सड़े  कानून अंग्रेज़ों  के ज़माने के जैसे के तैसे ही चले आ रहे हैं। ये कानून किसी भी भारतीय की स्वतंत्रता को पलक झपकते ही गुलामी  में बदलने के लिए काफी हैं। Tragedy is that these draconian laws have been functional even after 70 years of independance. 
इन में  बदलाव अति आवश्यक है। 

अंग्रेज़ों के बनाये कानूनो की खासीयत और असलियत ये है की ये दो  बेसिक अज़ंप्शंस पे आधारित हैं:-
 1.   पहला ये कि हर आम आदमी अपराधी  है।  कानून तोड़ना  उस का  स्वभाव है.
 2.  दूसरा  कि  हर राजशाही व्यक्ति देवता स्वरूप है।  यानी 
(सरकारी ओहदे दार, जो अंग्रेज़ों के समय सिर्फ  अँगरेज़ अफसर ही थे लेकिन आज़ाद भारत में पहले अफसर, फिर नेता और अब तो इन सभी का परिवार भी, सभी इस श्रेणी में आ गए हैं ) पाक साफ़ हैं।

               इस ही वास्ते आज़ाद भारत में अफसर और नेता बनने की एक होड़ सी लगी रही  है। हमारी विधानसभाओं और लोकसभा में दागियों की अच्छी खासी  मौजूदगी इस ही बात का संकेत है।  जो जितना बड़ा अपराधी  है वो नेता बनने के लिए उतना ही उतावला है। अंग्रेज़ों द्वारा खुद को भारतियों पर निरंकुश राज करने के लिए बनाया गया ये कानून, और इस की रौशनी में  चलाया जा रहा निज़ाम, सरकारी मकड़ जाल से जुड़े लोगों को, सत्ता के गलियारों में छुपे दागी अपराधियों को, या स्यार नुमा राजनेताओं को और उन के क़ातील यारों को  एक कवच की तरहं  बचाता है, जब की  आम आदमी की गर्दन पे हाथ डालने के लिए यही कानून सैकड़ों प्रावधान बनाये हुए है।  देश को सच्चे प्रगतिशील पथ पे अग्रसर करने के लिए इस घटिया तथा गली सड़ी कानूनी व्यवस्था में बदलाव लाना अनिवार्य है। 
      
शायद आप ने भी देखा हो की कभी किसी  पुल पे  लिखा होता है कि यहाँ  फोटो खींचना एक दंडनीय अपराध है।  अब आप जब वहां पिकनिक बनाने गए तो  शायद ये सोचा भी न हो की इस पुराने कानून के तहत इस टूटे फूटे पुल को बहाना  बना कर  आप को जेल तक भेजा जा सकता है, सिर्फ उस पुल  पर फोटो खिंचने के जुर्म में, वो भी तब जब आज गूगल पे  कोई भी व्यक्ति घर बैठा  उस पुल   और यहाँ तक की उस पे टहलते हुए आप को भी देख सकता है ।
                हम सभी जानते हाँ कि  इन्फोर्मशन टेक्नोलॉजी  के इस युग में सभी तरहां के हथियार, चाकू छुरिया बंदूख और तीर कमान से ले कर मिसाइल्स और ऍफ़ 16 जहाजों तक को इस्तेमाल करने का ढंग और  रख रखाव के तौर तरीके इंटरनेट पे 24 x 7 उपलब्ध हैं और इन हथियारों के बाबत किसी भी तरहं की जानकारी हर आदमी को उपलब्ध है। 
              सुन कर हैरान मत हो जाइए गा,  यदि आप के कम्प्यूटर पर  एक साधारण सी  एके 47  की  तस्वीर मिल जाए,  जो आप ने शौकिया तौर पे एक स्क्रीन सेवर की तरह इस्तेमाल करने के लिए इंटरनेट ही से डाउनलोड की हो, आप को हिरासत में लिया जा सकता है।  इन अंधे कानूनों को, रक्षक की खाल पहने हुए कानून के भक्षक,  किसी  को भी तंग करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, और करते हैं।  नतीजा ये निकलता है की शरीफ लोगों को भी बड़ी आसानी से आतंकवादी सिद्ध किया जा सकता है या यों  कहिये बनाया जा सकता है।  ये एक बड़ी चिंता का विषय है.
      सूझवान देशभक्तों  की बहुत पुरानी डिमांड रही है की  अंग्रज़ों के  बनाये गए गले सड़े कानूनों को खत्म किया जाए और आज़ाद भारत की कानून व्यवस्था को नवजीवन दे कर सार्थक कियाजाऐ ।  मैं और मेरे  सारे साथी मोदी सरकार की इस युगप्रवर्तक पहल का तहे दिल से स्वागत करते हैं और न्याय मंत्री श्री  रवि शंकर   प्रसाद तथा प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं।   हम ये भी उम्मीद करते हैं की यूनिफार्म सिविल कोड तथा और भी बहुत से कानूनों में वक़्त की जरूरत के अनुसार जरूरी बदलाव लाने में ये सरकार पहल करे गी।
सादर … कवि बलवंत गुरने।

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