कड़वा है लेकिन सच है .................. कवि बलवंत गुरुने

आप सब का ध्यान कुछ असुविधाजनक सत्यों की और आकर्षित करना चाहता हूँ. .....कवि बलवंत गुरुने
1. भारत में नियम लागू किया जाना चाहिए कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है चाहे वो कलेक्टर हो या SP या कोई अन्य कर्मचारी सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में पढेंगे। सभी समझ सकते है कि जब जिले के कलेक्टर और SP तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो सरकारी स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक किस तरह पढाई करवाएँगे। सभी शिक्षक स्कूल समय पर आएँगे और अपना कार्य ईमानदारी से करेंगे। जो शिक्षक पढाने में असमर्थ है दें इस्तीफा I शिक्षा के स्तर में उछाल आ जाएगा और देश के बच्चे पढ़ना आरम्भ कर देंगे I कड़वा है लेकिन सच है I
2. अश्लील गाना गाने वाले हनी सिंह, सनी लीओन पूनम पांडे और शर्लिन चोपड़ा जब लडकियों का आदर्श बन जाएँ तो यह समाज के लिए कोई बोहत उम्दा बात नहीं ..... .लेकिन ..ये भी सच है की लड़कियों को अभिव्यक्ति की आज़ादी मिलना ज़रूरी है. जो समाज लड़कियों को ख़ौफ़ज़दा कर के अपने समाजिक मापदंड उन पे थोपता है जैसे की खाप पंचायते अथवा तालिबानी फतवे, उन समाजों का पतन अनिवार्य है. अगर अश्लीलता एक अभिशाप है तो दूसरी ओर ये भी एक अभिशाप है की लड़कियों को पिंजरे का पंछी बनने पे मजबूर किया जाए. राम सेवकों द्वारा बंगलोर में लड़कियों पे हाथ उठाना, उन्हें नाचने गाने से रोकना भी उतना ही निंदनीय है.. ....कड़वा है लेकिन सच है I
3. जब बलात्कार या अबलाओं से छेड़छाड़ के बाद देश का कोई बड़ा नेता सिर्फ अपने गुर्गों गुंडों की फ़ौज को खुश करने के लिए ऐसी शर्मनाक हरक़त को जायज़ ठहराए तो देश में नारी का सन्मान गिर जाये गा और नारी उत्पीड़न के केस बढ़ जाएं गे..... कड़वा है लेकिन सच है I
4. हर मुल्क़ में अपने हक़ों के लिए लोग लड़ते आएं है, वक़्त की सरकारें जब किसी के सवालों का जबाब समाधान से नहीं दे सकती तो ऐसे लोगों को राष्ट्र विरोधी बता कर उन का उत्पीड़न शुरू कर दिया जाता है। याद रहे की अपनी प्रमोशन एवम वाह वाही के लिए सरकारी गुर्गे कमज़ोर और बेक़सूर लोगों को निशाना बनाते हैं। .... नतीजा ये निकलता है की इस प्रताड़ना के चलते नक्सलवाद अथवा आतंकवाद खत्म नहीं होता बल्कि बढ़ जाता है। मौका परस्त चुट्पुटिये नेता तथा पुलिस फ़ोर्स का ताल मेल सिस्टम में गन्दगी को बढ़ाता है, उच्तम लीडरशिप को गलत फ़ीडबैक दी जाती है और नतीजा होता है अफ़ग़ानिस्तान अथवा इराक। यदि देश के उच्तम नेता ताक़त की मस्ती में गैर ज़िम्मेदाराना निरंकुशता से काम लेते हैं तो देश नवनिर्माण करने की जगह आंतरिक जंग की दल दल में फंस के रह जाते हैं. .... कड़वा है लेकिन सच है I
5. बीयर की बोतल 75 रुपये, कोकाकोला, 50 रुपये, बर्गर 100 रुपये, चिप्प्स' पैकट 30 रूपये, सिनेमा टिकिट 350 रूपये, किसी ने दारु का ठेका नहीं फूंका, अमेरिका का पुतला नहीं फूंका, रेल नहीं रोकी, सिनेमा हॉल नहीं फूँका .... लेकिन इस रेल भाड़े ने तो मुर्दो में जान डाल दी l रेलवे यात्री भाड़े में 32000 करोड़ की सब्सिडी देती है . आंकडा यदि गलत हो तो सुधार दीजिएगा . यानि माल भाड़े से जो पैसा आता है उसे यात्री भाड़े में लगा देती है . इसका मतलब ये हुआ की जब हम दिल्ली से बनारस जाते हैं तो उस यात्रा का लागत मूल्य लगभग 700 रु है पर रेलवे हमसे सिर्फ 350 रु लेती है . मुझे लगता है की हमें उस यात्रा के पूरे पैसे देने चाहिए . जिस से की रेलवे सब्सिडी वाले धन को infrastructure में लगा सके . नयी पटरियां बिछाए . जर्जर पटरियों को बदले . नए रेल डिब्बे बानाने के और कारखाने लगें जिस से की हज़ारों नयी रेलगाड़ियाँ चलें .........आज जो यात्रा 12 घंटे में होती है वो 7 घंटे में पूरी हो ....... आज जो बेचारे लटक के जाते हैं , भूसे की तरह ठूंस के जाते हैं , फर्श पे सो के जाते है , शौचालय के सामने बैठ के जाते हैं ........वो इज्ज़त से चल सकें ........कड़वा है लेकिन सच है I

No comments:

Post a Comment