2012
में
अन्ना
नामक
नायक
की एंटी करप्शन मूमेंट की छत्रछाया में उभरीअरविन्द केजरीवाल द्वारा स्थापित AAP पार्टी ने लोगों में बहुत उम्मीद जगायी। AAP के ज्यादा सप्पोर्टर्स निम्न मध्य वर्ग और मध्यम वर्ग से थे। उच्च मध्यम वर्गीय लोगों ने भी इस पार्टी का साथ दिया 'as a new experiment in
politics'. लेकिन
'AAP' ज्यादा
तर
लोगों
की
उमीदों
पर
खरी
नहीं
उतर
सकी।
संक्षेप
में
कहूँ
तो
'आप
पार्टी
' में
ज्यादा
लोग
'political adventurers' ही
नज़र
आये.
अब
इस
पार्टी
की
बचीखुची
सपोर्ट
'Always Angry' इंडियन
मिडल
क्लास
में
है।
This class is always anti establishment because no government can give them a
package totally suited to their unique needs....and they are always looking for
a substitute for BJP and Congress because they know that both these parties are
servants of rich and powerful of India. As far as my views on AAP are
concerned, well they are similar to that of Justice Markandey Katju, honourable
retired judge of Supreme court of India. In his words..I quote," Aam Admi
Party and its leader, Mr. Kejriwal, have no scientific ideas for solving the
massive socio- economic problems facing the country---massive poverty,
unemployment, price rise, malnutrition, social discrimination, lack of
healthcare, good education,etc .I have no doubt that Mr. Kejriwal is an honest
man. but being honest is not enough. One must also have scientific ideas for
solving the gigantic problems before the nation, and I am afraid i do not find
any in him. For that matter, I find none of the present political leaders of
any political party in India having scientific ideas. Therefore it is a dismal
picture for the country. As the old Chinese adage says : " High unpredictable winds, and
misfortunes are in the sky ". Unquote.
मेरे विचार में APP में प्रतिभा से कहीं ज्यादा ताकत पाने की लोलुपता नज़र आती है। It is a group of ambitious
people without any vision and strategy simply exploiting the anger of indian
middle classes against the system.. I was all for Aap at a given point of time
as a good substitute for congress but I felt cheated by their philosophical
bankruptcy, desperation to get in to power and lack of political prudence and
pragmatism. Kejriwal's is a good fighter but a bad general. केजरीवाल एक भले इंसान और अच्छे योद्धा हैं लेकिन एक 'जनरल या सिपहसालार' की गुणवत्ता पे वो पूरे नहीं उतरे। He collected people like
Binny and Kumar Vishwas around him who were and are pure opportunists. AK's bad
strategy in first forming the government in Delhi and then going and pitting
himself... against Modi in Varanasi speaks volumes about his political
miscalculations. Less said is more . ये लोग अन्ना का गन्ना बना कर उसे राजनीती के बेलन में पीस कर उस का रस निकाल कर पी गए लेकिन इन के जिगर की कमज़ोरी दूर न हुई और इन का 'यरक़ान' (जॉन्डिस) ठीक नहीं हुआ।
बीजेपी की बात करें तो ये नयी बोतल में वही पुरानी शराब है , वही सत्ता के लोभी, करप्शन में लिप्त, कमज़ोरों को ठोकर मारने वाले और शक्ति शालियों के तलवे चाटने वाले, वही देश के विकास कार्यों में से पूंजी हजम कर जाने वाले नेता जो नेता कम और अभिनेता ज्यादा हैं। यानि वही सब जो कांग्रेस में था , सिर्फ एक बदले हुए नाम के साथ।
हाँ, मोदी की बात करें तो वो एक अनूठी शख्शियत हैं, कुछ तो मोदी काम अच्छा कर रहे हैं, कुछ वो बोलबचन के बादशाह हैं (स्नेह पूर्वक मैंने उन का नाम रख दिया है 'पप्पू का विकल्प गप्पू ') तो कुछ तो मोदी गुफ़्तार के गाज़ी हैं और मन बातों से मोह लेते हैं , और कुछ हिंदुस्तान 70 साल का अपना दबा हुआ गुबार निकाल रहा है। नतिजा, … मोदी, मोदी, मोदी। इस में कोई शक नहीं की मोदी देश भक्त हैं लेकिन इस में भी कोई शक नहीं होना चाहिए की मोदी नयी बोतलों में भरी पुरानी शराब का वही ठेका चला रहे हैं जिस की ठेकेदारी कुछ समय पहले कांग्रेस के पास थी। यानि Modi is presiding over the
same old sick and exploitative system.
दूसरा ये भी कैसे नज़र अंदाज़ किया जा सकता है की वो दायें बाज़ू तंजीमों , यानि सरमायेदारों की ताक़त पर सत्ता में आये एक उच्च सतरिआ राजनीतिज्ञ हैं जिन्हें एक खास वर्ग ने अपने पैसे की ताक़त पर तथा बीजेपी ने सत्ता लोलुपता के चलते एक ऐसे राष्ट्र नायक के पायदान पे पहुंचा दिया है, कि मोदी को बनाने वाले भी अपना माथा पकड़ कर बैठे हैं। ये कुछ वैसे ही लोग हैं जिन्हों ने अस्थियों के ढेर से शेर तो बना लिया लेकिन अब शेर की ताकत पर हैरान हैं। कुछ लोग तो मैदान छोड़ कर भाग गए, कुछ को भगा दिया गया और बाकि सब भक्त मण्डली में शामिल हो गए। नतीजा जनतंत्र में सत्ता का पूर्ण केंद्रीकरण। अब अगर शेर को राजा बनाओ गे तो यह तो होना ही था। किसी हद तक ये भारत के लिए ठीक भी है लेकिन यदि मोदी गांधी पटेल और अब्दुल कलाम आज़ाद के दृष्टिकोण का मुखोटा पहने असलियत में उन की विचरधारों से दूर ही रहे तो नतीजे काफी गंभीर निकल सकते हैं।
निम्न मध्य वर्ग को इन बातों का ज्ञान नहीं है , वो सिर्फ जो जीता वही सिकंदर के नारे को जानते हैं सो उन्हें फिल हाल के लिए अपना हीरो मिल गया है। वो हीरो आज मोदी है, कल तक केजरीवाल था, कभी अटल , कभी ज. प्र. नारायण तो कभी इंदिरा भी थीं … और कल कोई और भी हो सकता है । इस सब के चलते सरमायेदारों और निम्न मध्यवर्ग की सपोर्ट से ब्रांड मोदी अभी और माइलेज हासिल करे गा लेकिन जल्द ही ब्रांड मोदी का गुबारा भी फटे गा क्यों की न तो मोदी बीजेपी से दागियो की छंटनी कर पाएं गे और न ही एक सार्थक धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना। देश भक्ति और हिदुत्व के नाम पर जल्द ही दांयेबाज़ू तंजीमें स्टेट स्पॉन्सर्ड दादागिरी पे उतर आएं गी। सभी मौकापरस्त इस का साथ दें गे अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकें गे। केवल लाल ध्वजा ही इस के खिलाफ ठोक कर आवाज़ उठाये गी और जम कर लड़े गी भी।
अब इस लड़ाई के चलते दायें बाजु तंजीमें सत्ता में रहने के सभी प्रयत्न करें गी। रिज़ल्ट हो गा एक महान राजनीतिक संग्राम, एक महाभारत जिस में इडस्ट्रिलिस्ट्स और सरमायेदारों की दौलत से लैस सभी दाएंबाजू चरमपंथी तंजीमें तथा भारत सरकार की वर्दीधारी फोर्सेज एक तरफ होंगी और अवाम की शक्ति से प्रेरित सभी बाएं बाजु तंजीमें एक तरफ हों गी। अंतिम विजय लाल ध्वजा की ही हो गी क्यों की हिन्दोस्तान की सब से छोटी अकलियत सिख जैन या ईसाई नहीं बल्कि सरमायेदार व सत्ता लोलुप नेता हैं और सब से बड़ी अक्सरियत यहाँ की आम जन्ता है। आने वाले सात आठ सालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत बदलाव आ चुके हों गे। अमेरिक की जनता वहां की व्यवस्था से थक चुकी हो गी और अमरीकी समाज एक बार फिर गोरों और कालों में तथा 'Haves and Have-nots' में बुरी तरहं बंट चूका हो गा। अमेरिका इस्लामी तंजीमों के साथ लड़ लड़ कर टूट भी चुका चूका हो गा। विश्वस्तर पे लोग किसी भी प्रकार की कट्टर पंथी सोच, वो चाहे धार्मिक समाजिक और राजनैतिक या कोई भी कट्टरपंथी सोच क्यों न हो, से तंग आ चुके हों गे। कट्टरपंथी इस्लामी कई जगह अपना राज कायम कर चुके हों गे। चीन और रूस में मित्रता हो चुकी हो गी और दोनों ही दुनिया को उन विषम परिस्थतियों से निकालने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दें गे। भारत में अभी भी गरीबी दूर न हुई हो गी । ।नतिज्तन भारत के युवा खूनी सत्ता परिवर्तन का रास्ता अपना कर देश पे लाल निशान फहरा दें गे। भारत चीन और रूस आपस में मिल कर इस्लामिक आतंकियों का and all other kinds of religious or social fundamentalists ka सफाया कर दें गे……फिर लम्बे अरसे तक शान्ती कायम हो गी , प्रगति हो गी , सरमाएदारी और भ्र्ष्टाचार को जड़ से उखाड फेंक दिया जाए गा। …………… काफी देर इंसानी धर्म ही असली धर्म माना जाये गा, लोगों की आस्था मंदिरों मस्जिदों गुरद्वारों में कम और इंसानियत में ज्यादा नज़र आये गी। सही मानों में राम राज्य की स्थापना हो गी . [ Till the time political cycle grinds back again.] मोदी एक सशक्त नेता हैं लेकिन ऐसे नेता कई बार ऐसी राजनितिक गलतियां कर जाते हैं की न वक़्त, न इतिहास, कोई उन्हें माफ़ नहीं करता। मोदी के पुलिस अफसरों की कॉन्फ्रेंस में नक्सलों को खतम करने का एलान तथा साथ ही CRPF के १३ जवानों का मारा जाना कोई बाई चांस हादसा नहीं है। हमेशां बड़ी बड़ी बाते करना या हर चीज़ का एलान क़ुतुब मीनार पे चढ़ कर ही करना कोई योग्यता का मानदंड नहीं है। .... कभी कभी मौन व्रत बोलबानी से ज्यादा सशक्त होता है। भारत का भविष्य आज एक शक्स की सोच और कर्मों पे टिका है और वो है मोदी । देखना ये है की क्या मोदी इस पूर्व लिखित काल चक्र को कोई नयी दिशा देते हैं या केवल गति ही प्रदान करते हैं। यदि मोदी ने भारत के निर्धारित राजनीतिक कालचक्र को नवदिशा प्रदान की तो वो युगपुरुष कहलाएं गे लेकिन यदि केवल नवगति ही प्रदान की तो कालपुरुष तो अवश्य कहलायें गे। जय हिन्द। वन्दे मातरम।
बीजेपी की बात करें तो ये नयी बोतल में वही पुरानी शराब है , वही सत्ता के लोभी, करप्शन में लिप्त, कमज़ोरों को ठोकर मारने वाले और शक्ति शालियों के तलवे चाटने वाले, वही देश के विकास कार्यों में से पूंजी हजम कर जाने वाले नेता जो नेता कम और अभिनेता ज्यादा हैं। यानि वही सब जो कांग्रेस में था , सिर्फ एक बदले हुए नाम के साथ।
निम्न मध्य वर्ग को इन बातों का ज्ञान नहीं है , वो सिर्फ जो जीता वही सिकंदर के नारे को जानते हैं सो उन्हें फिल हाल के लिए अपना हीरो मिल गया है। वो हीरो आज मोदी है, कल तक केजरीवाल था, कभी अटल , कभी ज. प्र. नारायण तो कभी इंदिरा भी थीं … और कल कोई और भी हो सकता है । इस सब के चलते सरमायेदारों और निम्न मध्यवर्ग की सपोर्ट से ब्रांड मोदी अभी और माइलेज हासिल करे गा लेकिन जल्द ही ब्रांड मोदी का गुबारा भी फटे गा क्यों की न तो मोदी बीजेपी से दागियो की छंटनी कर पाएं गे और न ही एक सार्थक धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना। देश भक्ति और हिदुत्व के नाम पर जल्द ही दांयेबाज़ू तंजीमें स्टेट स्पॉन्सर्ड दादागिरी पे उतर आएं गी। सभी मौकापरस्त इस का साथ दें गे अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकें गे। केवल लाल ध्वजा ही इस के खिलाफ ठोक कर आवाज़ उठाये गी और जम कर लड़े गी भी।
अब इस लड़ाई के चलते दायें बाजु तंजीमें सत्ता में रहने के सभी प्रयत्न करें गी। रिज़ल्ट हो गा एक महान राजनीतिक संग्राम, एक महाभारत जिस में इडस्ट्रिलिस्ट्स और सरमायेदारों की दौलत से लैस सभी दाएंबाजू चरमपंथी तंजीमें तथा भारत सरकार की वर्दीधारी फोर्सेज एक तरफ होंगी और अवाम की शक्ति से प्रेरित सभी बाएं बाजु तंजीमें एक तरफ हों गी। अंतिम विजय लाल ध्वजा की ही हो गी क्यों की हिन्दोस्तान की सब से छोटी अकलियत सिख जैन या ईसाई नहीं बल्कि सरमायेदार व सत्ता लोलुप नेता हैं और सब से बड़ी अक्सरियत यहाँ की आम जन्ता है। आने वाले सात आठ सालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत बदलाव आ चुके हों गे। अमेरिक की जनता वहां की व्यवस्था से थक चुकी हो गी और अमरीकी समाज एक बार फिर गोरों और कालों में तथा 'Haves and Have-nots' में बुरी तरहं बंट चूका हो गा। अमेरिका इस्लामी तंजीमों के साथ लड़ लड़ कर टूट भी चुका चूका हो गा। विश्वस्तर पे लोग किसी भी प्रकार की कट्टर पंथी सोच, वो चाहे धार्मिक समाजिक और राजनैतिक या कोई भी कट्टरपंथी सोच क्यों न हो, से तंग आ चुके हों गे। कट्टरपंथी इस्लामी कई जगह अपना राज कायम कर चुके हों गे। चीन और रूस में मित्रता हो चुकी हो गी और दोनों ही दुनिया को उन विषम परिस्थतियों से निकालने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दें गे। भारत में अभी भी गरीबी दूर न हुई हो गी । ।नतिज्तन भारत के युवा खूनी सत्ता परिवर्तन का रास्ता अपना कर देश पे लाल निशान फहरा दें गे। भारत चीन और रूस आपस में मिल कर इस्लामिक आतंकियों का and all other kinds of religious or social fundamentalists ka सफाया कर दें गे……फिर लम्बे अरसे तक शान्ती कायम हो गी , प्रगति हो गी , सरमाएदारी और भ्र्ष्टाचार को जड़ से उखाड फेंक दिया जाए गा। …………… काफी देर इंसानी धर्म ही असली धर्म माना जाये गा, लोगों की आस्था मंदिरों मस्जिदों गुरद्वारों में कम और इंसानियत में ज्यादा नज़र आये गी। सही मानों में राम राज्य की स्थापना हो गी . [ Till the time political cycle grinds back again.] मोदी एक सशक्त नेता हैं लेकिन ऐसे नेता कई बार ऐसी राजनितिक गलतियां कर जाते हैं की न वक़्त, न इतिहास, कोई उन्हें माफ़ नहीं करता। मोदी के पुलिस अफसरों की कॉन्फ्रेंस में नक्सलों को खतम करने का एलान तथा साथ ही CRPF के १३ जवानों का मारा जाना कोई बाई चांस हादसा नहीं है। हमेशां बड़ी बड़ी बाते करना या हर चीज़ का एलान क़ुतुब मीनार पे चढ़ कर ही करना कोई योग्यता का मानदंड नहीं है। .... कभी कभी मौन व्रत बोलबानी से ज्यादा सशक्त होता है। भारत का भविष्य आज एक शक्स की सोच और कर्मों पे टिका है और वो है मोदी । देखना ये है की क्या मोदी इस पूर्व लिखित काल चक्र को कोई नयी दिशा देते हैं या केवल गति ही प्रदान करते हैं। यदि मोदी ने भारत के निर्धारित राजनीतिक कालचक्र को नवदिशा प्रदान की तो वो युगपुरुष कहलाएं गे लेकिन यदि केवल नवगति ही प्रदान की तो कालपुरुष तो अवश्य कहलायें गे।
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और जले गी भठी ये अभी और उठें गे अंगारे,
उजड़ें गे सिन्दूर कई अभी और लड़ें गे मतवारे,
जुल्म का ढोल ढमका गलियों में अभी और भी गूंजे गा
अभी और पाजेबों को पिघला कर बम्ब बनाये जाएँ गे।
… कवि बलवंत aka Guru Gurunay...
Friends, कुछ मित्र कहते है की बीजेपी और नमो ? यानि क्या ये अलग अलग हैं … जी हाँ बिल कुल अलग अलग हैं। ............. बीजेपी एक लाश है तो नमो oxygen है , अगर किसी भी बीजेपी के छोटे बड़े मित्र को ये गलत फहमी हो की वो नमो को बनाने वाले हैं तो वो कृपया इसे त्याग दें। If any one from BJP thinks they can take any credit for the so called success of BJP...they are only fooling themselves. Its NAmo NAmo NAmo and NAMO all the way. If we talk of Honesty ...... भाजपाइयों के पास इस की उतनी ही किल्ल्त है जितनी की कॉंग्रेसिओं के पास। That is why Namo, whom the nation had voted to power is also turning out be another politician with a big tongue, a loud mouth but small actions. … वन्देमातरम। Friends, या तो देश सेवा में डट जाइए या हट जाइए।
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